बंगाल के गवर्नर जनरल
वारेन हेस्टिंग्स (1772 से 1785)
वारेन हेस्टिंग्स को रेगुलेटिंग एक्ट के तहत बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया था,इसे बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल होने का गौरव प्राप्त है हेस्टिंग्स ने 1772 ईस्वी में राजस्व बोर्ड का गठन किया तथा सरकारी कोष का स्थानांतरण मुर्शिदाबाद से कोलकाता कर दिया था 1784 में सर विलियम जोंस ने एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल की स्थापना की वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में ही यही स्थापना की गई थी
1772 में उसने 5 वर्षीय तथा 1777 में 1 वर्षीय भू राजस्व बंदोबस्त व्यवस्था लागू किया था वारेन हेस्टिंग्स को भारत में न्यायिक सेवा का पिता या जन्मदाता भी माना जाता है इसी के काल में कोलकाता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 1779 में की गई थी जिसके प्रमुख अथवा मुख्य न्यायाधीश एलिजा इम्पे थे!
1772 में उसने 5 वर्षीय तथा 1777 में 1 वर्षीय भू राजस्व बंदोबस्त व्यवस्था लागू किया था वारेन हेस्टिंग्स को भारत में न्यायिक सेवा का पिता या जन्मदाता भी माना जाता है इसी के काल में कोलकाता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 1779 में की गई थी जिसके प्रमुख अथवा मुख्य न्यायाधीश एलिजा इम्पे थे!
वारेन हेस्टिंग्स के काल में बनारस की संधि 1773 ईस्वी फैजाबाद की संधि 1775 ईस्वी तथा एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल की स्थापना 1784 में की गई थी नंदकुमार पर 1775 में अभियोग लगाया गया था इत्यादि घटनाएं वारेन हेस्टिंग के काल में घटी वारेन हेस्टिंग के काल में रियासतों के साथ होने वाली रिंग ऑफ फेन्स( घेरे की नीति) का जनक माना जाता है!
हेस्टिंग्स बंगाल का एकमात्र ऐसा गवर्नर जनरल था जिस पर महाभियोग इंपिचमेंट लगाया गया था जिसे वर्क ने लगाया था इसी काल में 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट पारित हुआ था जिसके अंतर्गत परिषदों की संख्या घटाकर तीन कर दी गई थी इसके अतिरिक्त द्वैध शासन व्यवस्था वारेन हेस्टिंग के कार्यकाल में बंद कर दी थी तथा प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध भी इसी के कार्यकाल में संपन्न हुआ था!
वारेन हेस्टिंग के कार्यकाल में भागवत गीता का अंग्रेजी में अनुवाद चार्ल्स विकलिनम तथा शाकुंतलम् का अंग्रेजी अनुवाद विलियम जॉन्स के द्वारा किया गया था!
लार्ड कार्नवालिस (1786 से 93)
लार्ड कार्नवालिस को 1786 ईसवी के संशोधन एक्ट द्वारा commander-in-chief बनाया गया था इसने 1779 ईस्वी में दासो के व्यापार पर रोक लगा दी थी भारत में कार्नवालिस को सिविल सेवा तथा पुलिस सेवा का जन्मदाता अथवा पिता कहा जाता है इसमें 1793 में बंगाल में स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था लागू की इस व्यवस्था के तहत जमीदारों को भू राजस्व का 10/ 11 भाग कंपनी के साथ 1/ 11 भाग अपनी सेवाओं के लिए अपने पास रखना था!
इसमें 1793 में कार्नवालिस कोड का निर्माण किया तथा शक्ति के पृथक्करण का सिद्धांत लागू किया न्यायिक विभाग को राजस्व विभाग से अलग किया तथा कलेक्टर के पास सिर्फ भू राजस्व वसूली का अधिकार रखा दीवानी अधिकार वापस ले लिया गया 1805 ईस्वी में कार्नवालिस पुनः भारत का गवर्नर जनरल बनकर आया इसी दौरान उसकी मृत्यु हो गई कार्नवालिस भारत का एकमात्र गवर्नर जनरल है जिसकी समाधि भारत में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में स्थित है!
सर जॉन शोर (1793 से 1798)
सर जॉन शोर ने मैसूर के प्रति का अहस्तक्षेप की नीति का पालन किया
जान शोर ने ही जमीदारों को भूमि का वास्तविक स्वामी माना अपवाद स्वरूप इसने अवध के मामले में उत्तराधिकारी विषय के हस्तक्षेप किया था सर जॉन शोर के समय ही 1793 का चार्टर एक्ट पारित हुआ तथा खरदा का युद्ध लड़ा गया!
लॉर्ड वेलेजली (1798 से 1805)
लॉर्ड वेलेजली से 37 वर्ष की आयु में भारत का गवर्नर जनरल बना था इसे बंगाल का टाइगर के नाम से भी जाना जाता है भारत में अंग्रेजी सत्ता की श्रेष्ठता को साबित करने तथा फ्रांसीसियों के भय को समाप्त करने का पूरा श्रेय लॉर्ड वेलेजली को जाता है इसमें इस उद्देश्य से सहायक संधि प्रणाली को अपनाया था!
सहायक संधि स्वीकार करने वाले राज्यों में क्रमशः हैदराबाद 1798 मैसूर 1799 तंजौर 1799 अवध 1801 पेशवा1802 भोंसला 1803 सिंधिया 1804 तथा अन्य राज्य थे जिन्होंने सहायक संधि स्वीकार किया जैसे जोधपुर ,जयपुर, मच्छेडी, भरतपुर आदि राज्य थे फ्रांसीसी गवर्नर डुप्ले ने भारत में सहायक संधि की न्यू रखी थी परंतु से व्यवहारिक रूप से लागू करना का श्रेय वेलेजली को जाता है!
1799 में मैनेजर ने प्रेस पर प्रतिबंध लगाया था जो भारतीय प्रेस के प्रतिबंध लगाने की पहली घटना मानी जाती है!
वेलेजली ने नागरिक सेवा में भर्ती के लिए युवकों के प्रशिक्षण हेतु अट्ठारह सौ में कोलकाता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की थी!
1803 में इसने बाल हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था!
लॉर्ड वेलेजली के काल में चौथा आंग्ल मैसूर युद्ध 1799 लड़ा गया था तथा टीपू सुल्तान वीरगति को प्राप्त हुआ था!
वेलीजली के काल में द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध 1802-03 की मध्य चला था!
सर जॉर्ज बार्लो (1805 से 1807)
सर जॉर्ज बालू का कार्यकाल सबसे कम रहा है इसने देसी राज्यों के प्रति का हस्तक्षेप की नीति का पालन किया था
तथा सिंधिया को ग्वालियर एवं गोहद के प्रदेश वापस कर दिए इसी के काल में वेल्लोर का सिपाही विद्रोह 1806 में हुआ था!
लॉर्ड मिंटो प्रथम (1807 से 1813)
गवर्नर जनरल के रूप में भारत आने से पूर्व लॉर्ड मिंटो नियंत्रण बोर्ड का अध्यक्ष था 1809 में लॉर्ड मिंटो महाराजा रणजीत सिंह के साथ अमृतसर की संधि में शामिल हुआ था संथि अंग्रेजों की ओर से चार्ल्स मेटकाफ ने हस्ताक्षर किए थे मिंटो ने बुंदेलखंड,औ नागपुर,बरार के विद्रोह को दबाया था
1813 का चार्टर एक्ट इसी के समय में पारित हुआ था
जिसमें शिक्षा के विकास के लिए ₹100000 देने की व्यवस्था की गई थी मिंटो ने विदेशी संबंधों की स्थापना को मजबूत करने हेतु मैलकम को ईरान तथा एंफीस्टम को काबुल भेजा था!
लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813 से 1823)
लॉर्ड हेस्टिंग्स कार्यकाल में आ हस्तक्षेप की नीति का परित्याग कर दिया गया था भारत में ब्रिटिश प्रभु 27 के समय में मुख्य रूप से स्थापित हुई इसके कार्यकाल में आंग्ल नेपाल युद्ध 1814 से 16 में हुआ तथा नेपाल के साथ 1816 में संगोली की संधि की गई इसके कारण इसे मां की वर्ष ऑफ हेस्टिंग की उपाधि दी गई मराठा संघ का अंत 1817 मैं इसी के काल में पूर्ण रूप से हुआ जोकि तीसरा आंग्ल मराठा युद्ध था!
लॉर्ड हेस्टिंग्स को पिंडलियों के दमन का भी श्रेय प्राप्त है यह लूडो का एक दल था जिसमें हिंदुत्व का मुसलमान दोनों सम्मिलित थे पिंडलियों के मुख्य नेता में करीम खान आमिर खान चितु इत्यादि से!
एलफिंस्टन ने रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की तथा1822 ई. में बंगाल कारतकारी एक्ट पारित हुआ था!
लार्ड एम्हसर्ट (1823-28)
इनके समय में प्रथम आंग्ल बर्मा युद्ध 1824 से 26 के मध्य लड़ा गया जोया डंबू की संधि 18 से 26 ईसवी में समाप्त हुआ था इसी के कार्यकाल में बैरकपुर छावनी में सैन्य विद्रोह 1824 में हुआ था
यह मुगल बादशाह अकबर द्वितीय से बराबरी के स्तर पर भेंट किया था!
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